॥ वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः ॥
हम सबका उच्च हित चाहने वाले युवा देश को जाग्रत बनाए रखेंगे ।
मनुष्यता कठिन दौर से गुजर रही है। व्यैक्तिक , पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्थाएं बार-बार असफल हो रही है। प्रकृति क्षुब्ध हो गयी है , धरती के बढ़ते तापमान के परिणामस्वरूप जीव जंतु वनस्पति प्रतिक्षण लुप्त हो रहे है।
मनुष्य के अस्वच्छ मन ने ऐसी अनेक मुसीबतें पैदा कर दी है जिनका समाधान अत्यन्त दुष्कर हो गया है । वो स्वयं अशांत - विक्षुब्ध है, परिवार खण्ड-खण्ड है , समाज कुरीति-पाखण्ड की पकड़ में है , देश अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है । भ्रष्टाचार, अशिक्षा , गरीबी , आतंक , गन्दगी, चरित्रहीनता , अश्लीलता , भोगवाद, धार्मिक पाखण्ड जैसी चुनौतियाँ देश को जर्जर बना रही है ।
ऐसे भीषण समय में आशा की एक ही किरण है - युवा ।
प्राचीन काल में भी जब कभी ऐसी परिस्थिति बनी, भारत में कोई महामानव जन्म लेता है जो अपने जीवन को धारा के विपरीत खड़ा कर देता है। जनसामान्य जैसे दीन-हीन जीवन नहीं जीता, वो प्रकाश स्तम्भ सा चमकता है, स्वयं प्रकाशित होता है और अनेकों भटके हुए लोगो का पथ प्रदर्शक बनता है। भारतीय इतिहास ऐसे देवमानवों से भरा पड़ा है, महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, शंकराचार्य, माधवाचार्य, महाप्रभु चैतन्य, रामानुजाचार्य, कबीर, मीरा, शिवाजी, समर्थ गुरु रामदास, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, श्री अरविन्द, गांधी, श्रीराम मत्त आदि ने अपने को महान बनाया और अनेक देवमानवों का उत्पादन किया।
वर्तमान समय में फिर वैसा ही अवसर आया है , जब महाकाल ने जाग्रत और जीवंत आत्माओं को पुकारा है । परिव्राजकों , ब्राह्मणों, साधुओं की पावन परंपरा के पुनर्जीवन की आवश्यकता है । इसी आवश्यकता की पूर्ति हेतु शांतिकुंज ने युवा जाग्रति अभियान के अंतर्गत ऐसे युवाओं की खोज , प्रशिक्षण एवं नियोजन का कार्य प्रारम्भ किया है जो प्रवासी युवा बनकर महामानवों की पंक्ति में अपना नाम जोड़ ले।
प्रवासी युवा
- प्रवासी युवा - भावनाशील , समयदानी , प्रतिभाशाली , साधक
- दो प्रकार - वरिष्ठ (जीवनदानी) , कनिष्ठ (समयदानी)
- कार्यक्षेत्र - सम्पूर्ण देश
- नियोजन - आवश्यकतानुसार क्षेत्र में
- आजीविका - आवश्यकता होने पर पूर्ण समयदानियों एवं एक वर्ष के समयदानियों का ब्राह्मणोचित निर्वाह शांतिकुंज की ओर से अथवा क्षेत्रीय संगठन/संस्थान के द्वारा प्रदान किया जायेगा।
- प्रशिक्षण - शांतिकुंज द्वारा संचालित युग शिल्पी सत्र (एक मासीय सत्र ) करना अनिवार्य होगा।
कार्य पद्धति - प्रवासी युवा अपनी नियुक्ति के क्षेत्र में निरन्तर प्रवास करेगा जिसकी योजना निम्नलिखितनुसार होगी -
- अपने नियुक्ति स्थल केंद्र में प्रथम 2 दिवस में आगामी प्रवास क्षेत्र के संपर्क सूत्र प्राप्त करना।
- क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी लेना।
- प्रौढ़ मित्र/संगठन के साथ बैठकर 10 दिवसीय प्रवास के कार्यक्रम निश्चित करना।
- प्रचार सामग्री आदि तैयार करना।
- उसके पश्चात तीसरे दिन क्षेत्र में प्रवास पर प्रस्थान तथा लगातार निर्धारण अनुसार प्रवास के विविध कार्य संपन्न करना।
- 10 दिन पश्चात वापसी तथा आगामी 3 दिन में किये गए कार्य का रिकॉर्ड तैयार करना एवं केंद्र को रिपोर्ट भेजना।
- अपने नियुक्ति स्थल केंद्र में प्रथम 5 दिवस में आगामी प्रवास क्षेत्र के संपर्क सूत्र प्राप्त करना।
- क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी लेना।
- प्रौढ़ मित्र /संगठन के साथ बैठकर 20 दिवसीय प्रवास के कार्यक्रम निश्चित करना।
- प्रचार सामग्री आदि तैयार करना।
- उसके पश्चात छठवे दिन क्षेत्र में प्रवास पर प्रस्थान तथा लगातार निर्धारण अनुसार प्रवास के विविध कार्य संपन्न करना।
- 20 दिन पश्चात वापसी तथा आगामी 5 दिन में किये गए कार्य का रिकॉर्ड तैयार करना एवं केंद्र को रिपोर्ट भेजना ।
- अगले माह नए जिले की परिव्रज्या पर जाना।
टोली- प्रवास पर दो प्रवासियों की टोली होगी तथा एक स्थानीय युवा साथी साथ रहेगा।
नियंत्रण एवं संचालन -
- वरिष्ठ प्रवासियों की मॉनिटरिंग केंद्रीय कार्यालय - युवा जाग्रति अभियान , शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा की जायेगी ।
- कनिष्ठ युवा प्रवासियों की मॉनिटरिंग क्षेत्रीय संगठन द्वारा की जाएगी ।
रिपोर्टिंग एवं रिकॉर्ड तैयार करना -
- प्रवासी को अपने प्रवास कार्यक्रम में संपन्न समस्त गतिविधियों एवं संपर्क में आये व्यक्तियों का विस्तृत रिकॉर्ड तैयार करना होगा।
- माह के अंत में अपने अपनी प्रगति रिपोर्ट केंद्र को भेजना अनिवार्य होगा। जिसके आधार पर मानदेय का प्रावधान किया जा सकेगा।
प्रवासी युवा द्वारा किये जाने वाले कार्य -
- अपने वर्ष भर के प्रवास की योजना वर्ष के प्रारम्भ में तैयार करना।
- नियुक्ति के स्थान पर स्थानीय प्रबंधन/ युवा प्रकोष्ठ के कार्यक्रमों की जानकारी लेना।
- क्षेत्र में -
- युवा चेतना शिविरों का आयोजन करना।
- युवा/ संस्कृति मंडलों का गठन करना।
- बाल संस्कार शाला,आदर्श ग्राम आदि योजनाओं का प्रशिक्षण एवं शुभारम्भ करना।
- योग शिविरों का आयोजन
- विद्यालयों/महाविद्यालयों में डिवाइन वर्कशॉप / युवा संवाद का आयोजन करना।
- व्यसन मुक्ति हेतु संगोष्ठी/रैली का आयोजन करना।
- युवा प्रकोष्ठ कार्यालयों की स्थापना करना।
- ब्यक्तित्व निर्माण / व्यक्तित्व परिष्कार के सत्रों का आयोजन करना।
- साप्ताहिक युवा व्यक्तित्व विकास कक्षाओं का आयोजन करना।
- पारिवारिक युवा सम्मेलनों का आयोजन करना।
- युवा क्रांति वर्ष के विविध कार्यक्रम पत्रक एवं उत्तिष्ठत जाग्रत पुस्तक के अनुसार आयोजन करना।
- वार्षिक कार्ययोजना का क्रियान्वन करना।
- पांच राष्ट्रीय कार्यक्रमों के आयोजन का प्रबंध करना।
- सामूहिक साधना/घर-घर यज्ञ आयोजनों का प्रशिक्षण प्रबंधन।
- साहित्य विस्तार हेतु झोला पुस्तकालय एवं स्वाध्याय मंडलों की स्थापना एवं संचालन।
- शांतिकुंज भ्रमण/प्रशिक्षण हेतु जिलेवार युवा दलों को प्रेरित करना एवं शांतिकुंज में शिविर हेतु व्यवस्था बनाना।
- युवा मंडलों/बाल संस्कार शालाओं/आदर्श ग्रामों/स्मृति उपवनों का शांतिकुंज में पंजीयन कराना।
- अन्यः- समय-समय पर केंद्र के निर्देशानुसार कार्यक्रम संपन्न करना।
अहर्ताएं -
- नियमित उपासना - साधना
- साप्ताहिक व्रत-उपवास
- सदा ब्राह्मणोचित जीवन एवं वस्त्र विन्यास
- शांतिकुंज द्वारा कार्यकर्ताओं हेतु निर्धारित अनुशासन - ष्लोकसेवियों के दिशाबोधष् पुस्तक अनुसार आचरण
- स्वस्थ शरीर - स्वच्छ मन हेतु योग एवं स्वाध्याय का नियमित क्रम संचालित करना