Strategy
वृक्ष कहाँ एवं कैसे लगायें
1. अपनी जमीन है तो सर्वोत्तम, उसमें यथासम्भव अधिकाधिक वृक्ष लगाएँ।
2. शहरों में घर के सामने, गेट के दोनों ओर अशोक वृक्ष लगाए जाएँ। यह देखने में सुन्दर, औषधीय गुणों से भरपूर और कम फैलाव वाले वृक्ष हैं।
3. घरों के आँगन में कच्ची जमीन न हो, तो बड़े गमले में कम फैलाव वाले गुड़हल एवं चाँदनी के फूलों की बेल आदि लगा सकते हैं।
4. सरकारी सड़कों के किनारे, रेलवे लाइन के समीप जहाँ बेकार जमीन पड़ी हो, वहाँ अपने श्रम से पेड़ लगाये जा सकते हैं, उनका स्वामित्व सरकारी रहे, तो भी हर्ज नहीं।
5. गाँव के रास्तों के किनारे छायादार, चारे के वृक्ष एवं शहतूत, जामुन, लोकाठ, बड़हल आदि लुप्त होते जा रहे उन फलों के वृक्ष लगाएँ, जो बाजार में कम ही दिखते हैं और जिन्हें आज के वृद्ध बचपन में कभी वृक्षों पर चढ़-चढ़ कर खाया करते थे।
6. ऊसर भूमि कितनी ही जगह पड़ी है। ग्राम पंचायतों से पूछ कर खाली जगह का प्रयोग किया जा सकता है।
7. चरागाहों और जंगलों का विकास करें, उनमें सघन वृक्षारोपण करें।
8. प्रत्येक गाँव के देवस्थान/वन गोचर, बंजर भूमि में अधिकाधिक वृक्षों का रोपण करें।
9. शहरों कस्बों में उजड़े उद्यानों को फिर से हरा-भरा करें, विकसित करें।
10. शहरों-कस्बों में अक्सर खाली पड़े प्लॉट में गन्दगी का घर बन जाते हैं। अपने आस-पास के ऐसे स्थान को तुलसी वाटिका, पुष्प वाटिका, औषधीय पौधे लगाकर स्वास्थ्य वाटिका में रूपान्तरित करें। इससे गन्दगी एवं बीमारी से भी बचाव होगा और आसपास के लोग उसका लाभ भी ले सकेंगे। आवश्यकता हो तो प्लॉट मालिक से इसके लिये अनुमति ली जा सकती है।
11. नदियों, झीलों के तटों, किनारों पर भूमि क्षरण रोकने वाले एवं औषधीय वृक्षों का रोपण करें। तालाबों, कुओं, सरोवरों के किनारे विशेष रूप से बरगद, पीपल, गूलर आदि के वृक्ष लगायें।
12. वन प्रदेशों में जहाँ पेड़ काट तो लिये गये हैं, पर फिर लगाये नहीं गये, वहाँ जाकर वृक्ष लगायेंं। जंगलों एवं चरागाहों में विशेष रूप से फलदार वृक्ष लगायें; ताकि बन्दरों आदि वन्य पशुओं को आहार मिल सके। बन्दरों का गाँव, कस्बों और शहरों में आने का एक कारण जंगलों में पर्याप्त भोजन न मिल पाना भी है।
13. सामाजिक संगठनों एवं सरकारी कार्यालयों के परिसर में।
14. प्रत्येक विद्यालय में 24 पौधों का रोपण करायें। (जहाँ भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन होता है, वहाँ यह कार्य सहज है)
15. राष्ट्रीय/राज्य राजमार्गों के किनारे फलदार/छायादार वृक्ष लगायें।
16. श्मशान घाट पर धार्मिक महत्त्व वाले एवं छायादार वृक्ष लगायें।
17. खेतों की मेढ़ों पर फलदार एवं कृषि में सहायक पौधों का रोपण करें।
18. महाविद्यालयों के परिसरों में सम्पर्क कर वृक्षारोपण करें।
19. खाली, वीरान पड़ी छोटी-बड़ी पहाडिय़ों पर।
20. औषधीय गुणों वाले वृक्षों को महत्त्व दें, जैसे- नीम, आँवला, अशोक आदि इन वृक्षों की पौध तैयार करके वितरित करें।
21. यज्ञ अथवा दीप यज्ञों में वृक्षों के तैयार पौधे प्रसाद रूप में संकल्पपूर्वक वितरित किये जायें तथा प्रत्येक कार्यक्रम में इस हेतु लक्ष्य निर्धारित करें।
22. शक्तिपीठों में, मन्दिरों में, उद्यानों में नक्षत्र वाटिका, राशि वाटिका, नवग्रह वाटिका, वास्तु वाटिकाओं आदि का रोपण करें। एक बोर्ड पर सम्बन्धित वृक्षों का महत्त्व भी लिखकर लगाने से लोग और अधिक लाभान्वित हो सकेंगे।
23. विभिन्न धर्म स्थलों पर कुरानी, मसीही, बुद्ध, महावीर वाटिका, गुरु के बाग लगायें।
24. मन्दिरों में पर्यावरण शुद्धि हेतु त्रिवेणी (पीपल, बरगद, नीम) अथवा पंचवटी (नीम, पीपल, बरगद, जामुन, आँवला) रोपण, हरि शंकरी (पीपल, बरगद, पाकड़) का रोपण।