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विश्व स्तरीय चालीस दिवसीय साधना अनुष्ठान

नौ वर्षीय मातृशक्ति श्रद्धांजलि नव सृजन महापुरश्चरण विश्व स्तरीय चालीस दिवसीय साधना अनुष्ठान
( वसंत पर्व 2021 से फाल्गुन पूर्णिमा 2021 तक ) 
तदनुसार 16 फरवरी 2021 से 28 मार्च 2021  तक

प्रखर साधना किस लिये ?

 शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वर्ष 2021 में प्रखर साधना हेतु
 युग परिवर्तन के चक्र को तीव्र करने हेतु
 संक्रमण काल में युगशिल्पियों को तपाने हेतु
 आतंकवादी / आसुरी शक्तियों के निरस्त्रीकरण हेतु
 वंदनीया माता जी को श्रद्धांजलि हेतु
 नव सृजन की गतिविधियों को शक्ति एवं संरक्षण प्रदान करने हेतु
 
आत्मीय परिजन,
सन् 2026 में परम वंदनीया माताजी के जन्म, अखण्ड दीप प्रज्जवलन एवं श्री अरविन्द महर्षि के अति मानस अवतरण की शताब्दी मनाई जानी है। प्रखर साधना के अभाव में समस्त सामाजिक, सांस्कृतिक आंदोलन धराशायी हो रहे हैं। युग निर्माण आन्दोलन प्रखर इसलिये है क्योंकि इसमें ऋषियुग्म का तप एवं युग साधकों की प्रखर साधना है। इस विषम बेला में और अधिक प्रखरता की अपेक्षा की जा रही है। इस हेतु शांतिकुंज ने 2026 तक वार्षिक चालीस दिवसीय अनुष्ठान की योजना बनाई है।


क्या करें ?
# चूँकि विश्व स्तर पर न्यूनतम 51,000 साधकों द्वारा साधना की जायेगी, अत: इस हेतु  शक्तिपीठ /जोन/ उप जोन / जिला समितियों को अपनी जवाबदारी सुनिश्चित हो।
# सक्रिय 108 जिलों में 240 साधक प्रति जिले के हिसाब से एवं अन्य जिले में 108 या 51 साधक तैयार/सहमत/संकल्पित करायें।
# तपोनिष्ठ पूज्यवर ने 24 लाख के 24 महापुरश्चरण किये थे तो हम छोटा-सा सवा लाख मंत्रों का चालीस दिवसीय अनुष्ठान तो करें ही।
# पूज्यवर ने 24 वर्षों तक जौ की रोटी और छाछ पर तप किया, हम यथा संभव 40 दिनों तक नमक और (या) शक्कर का त्याग करें।
# पूज्यवर ने जीवनकाल में 3200 के आसपास पुस्तकें लिखीं, हम चालीस दिनों में दो-तीन पुस्तकों का स्वाध्याय तो कर ही लें ।
# उन्होंने करोड़ों व्यक्तियों/साधकों का निर्माण किया, हम अपने जैसे / अपने से बेहतर 50 साधक बनाने वाले कनिष्ठ प्रज्ञापुत्र और 108 व्यक्तियों को साधक / कार्यकर्ता बना दें तभी हम उनके सच्चे / वरिष्ठ प्रज्ञापुत्र कहलायेंगे, इससे कम में बात नहीं बनेगी।
# शान्तिकुन्ज में पाँच दिवसीय मौन (अंत:ऊर्जा) शिविर चलते हैं, अपने जिले में चालीस दिनों में एक दिन, एक दिवसीय मौन शिविर इस दौरान संचालित करें।
# पूर्णाहुति, समस्त शक्तिपीठों पर एक साथ एक समय पर संपन्न हो।


कैसे  करें ?- अनुशासन, अणुव्रत :-
1. उपासना :  न्यूनतम 33 मालाओं का चालीस दिनों तक जप प्रतिदिन करना है, भले ही  दो या तीन चरणों में हो। जप के साथ हिमालय के सर्वोच्च शिखर पर उदीयमान भगवान  सविता का ध्यान। जप से पूर्व अनुलोम-विलोम अथवा प्राणसंचार प्राणायाम करें। जप गिनती के लिये नही, अपितु उसकी गहराई को बढ़ाते हुये, भावविव्हल होकर करें। अपनी ही माला से जप करें।
2. साधना : चालीस दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन, हो सके तो एक समय उपवास, सात्विक, अस्वाद व्रत, न्यूनतम दो घंटे मौन, अपनी सेवा अपने हाथों से, मेरा अनुष्ठान है इस बात का सार्वजनिक प्रचार न करना, अर्थ संयम, विचार संयम के साथ समय संयम का पालन का प्रयास करना। भाव शुद्धि, चित्त शुद्धि का अधिकाधिक प्रयास। साधना का अहंकार न पालें, पूज्यवर करा रहे हैं, यही भाव प्रकट हो। मोह से पिंड छुड़ाने हेतु कभी कभी शक्तिपीठ पर रात्रि विश्राम करें। लोभ निवारण हेतु अपनी प्रिय वस्तुयें बांटने का प्रयत्न करें। चालीस दिनों तक परनिंदा से बचें, परिजनों की प्रशंसा का लक्ष्य बनावें, गुण ग्राहक बनें। स्वास्थ्य के अनुकूल हो तो, गोझरण/गौमूत्र/तुलसी जल का सेवन करें इससे ध्यान सहज  लगेगा।
3. स्वाध्याय :  स्वाध्याय से श्रद्धा संवर्धन होता है। अत: गायत्री महाविज्ञान, हमारी वसीयत विरासत, महाकाल की युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया, लोकसेवियों हेतु दिशा बोध इन पुस्तकों का अनिवार्य स्वाध्याय हो। हमको सब मालूम है इस अकड़ में न रहें, पुस्तकों का श्रद्धापूर्वक पाठ करें। अखण्ड ज्योति का नियमित स्वाध्याय करें।
4. आराधना :  समयदान, जन संपर्क एवं देवालय सेवा का लक्ष्य रखें। परिणाम की चिंता किये बगैर 40 दिनों में न्यूनतम 10 लोगों तक साहित्य पहुँचा कर उनका हालचाल पूछें एवं अच्छे श्रोता की तरह सुनें, यथोचित समाधान दें। साप्ताहिक रूप से शक्तिपीठ / प्रज्ञापीठ / केन्द्र की स्वच्छता करना। स्नानगृह, शौचालय अनिवार्य रूप से स्वच्छ रखना। प्रज्ञा संस्थान दूर हो तो ग्राम के ही देवालय की स्वच्छता करना। समय बचाने हेतु वाटस्एप एवं अन्य सोशल मीडिया का विवेकयुक्त उपयोग करना।
5. अखण्ड जप/दीपयज्ञ : इन चालीस दिनों में प्रत्येक साधक अपने निवास पर एक दिन का अखण्ड-जप रखे जिसका समापन दीपयज्ञ से  होगा। इस तरह ५१,००० दिवस का अखण्ड जप एवं इतने ही दीपयज्ञ भी संपन्न होंगे।
6. अंशदान : एक कप चाय का खर्चा बचा कर 5 रु प्रतिदिन जमा कर रू 200.00 पूर्णाहुति में लगायें। यह क्रम वर्ष भर एवं निरंतर चलने दें। इस राशि का उपयोग विद्या विस्तार में करें।
7. विशेष : साधना के दौरान सूतक, अशौच इत्यादि की बाधा आवे तो उतने दिन आगे बढ़ा देवें परंतु इसे बहाना न बनावें। ये समस्त अनुशासन घर के लिये हैं, यात्रा, कार्यक्रम, बीमारी आदि में आपद्धर्म का पालन करें। अपनी ही माला से जप करें, हो सके तो अपना ही आसन लें। गोमुखी का प्रयोग अर्थात् माला को ढंक कर जप करें। स्वच्छ वस्त्रों में, संभव हो तो पीले में ही जप करें। अनुष्ठान के पूर्व यज्ञोपवीत को बदल लें। साप्ताहिक रूप से घर पर, संभव हो तो शक्तिपीठ पर यज्ञ में भाग लेवें। अपने घर में दैनिक यज्ञ जितना संभव हो, करें।
8. चिन्तन : साधना में हैं तो सारे काम बंद, ऐसा न करें। गुरु कार्य हेतु ही साधना कर रहे हैं, अत: गुरु कार्य ही जीवन साधना है इसका ध्यान रहे। हर सुबह नया जीवन-हर रात नई मौत का चिंतन, आत्म बोध, तत्व बोध की साधना हो। अन्य विषयों पर बेकार की चर्चा में भाग न लें, विनम्रतापूर्वक वहाँ से हट जायें।
9. मौन साधना : चालीस दिनों में एक बार, एक दिन के मौन शिविर में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
10. वृक्ष गंगा अभियान : 51,000 साधक, तरुपुत्र / तरुमित्र योजना में भाग लेकर वृक्ष देव की स्थापना का संकल्प करें। वृक्ष को पितृवत्, मित्रवत्/पुत्रवत् पालने, रक्षा करने एवं संवद्र्धन करने हेतु तत्पर हों।
11. पूर्णाहुति : समस्त शक्तिपीठों में एक साथ एक समय पर संपन्न होगी। न्यूनतम 108 आहुतियाँ देनी ही हैं। साधकों के यज्ञ में कृपणता न हो। लोक जागरण के यज्ञ सादगी, मितव्ययिता के साथ संपन्न करावें किंतु इस पूर्णाहुति को भाव श्रद्धा से युक्त होकर करें। समस्त साधक अपने घर पर तैयार किये गये मिष्ठान्न का गायत्री माता को भोग लगायें। पूर्णाहुति पर कार्यकर्ता संमेलन में अनुयाज के संकल्प किये जायें।
12. ब्रह्मभोज :  अनुष्ठान के समापन पर ब्रह्मभोज हेतु सत्साहित्य का वितरण करें।
13. अनुयाज : 51,000 साधक 10 याजकों को प्रशिक्षित कर न्यूनतम दस घरों में २६ मई 2021, बुधवार ( वैशाख पूर्णिमा-बुद्ध पूर्णिमा ) को गृहे-गृहे यज्ञ अभियान में यज्ञ करावें तो व्यक्ति निर्माण के साथ वातावरण परिशोधन का क्रम एक साथ चल पड़ेगा एवं कार्यकर्ताओं का सुनियोजन भी होगा। कोविड प्रगति क्रम के अनुसार नये नियम बनेंगे तो उसकी जानकारी देंगे।

‘ तुम्हारी शपथ हम, निरंतर तुम्हारे, चरण चिन्ह की राह चलते रहेंगे॥’
आईये,  प्रखर साधना अभियान हेतु आपको भाव-भरा आमंत्रण ॥
                                        -  -  -  -  -  -  
Note:  चालीस दिवसीय  यह साधना साधकों को अपने घर पर रह कर ही संपन्न करनी है । इस   के   लिए शांतिकुंज  नहीं आना होगा । पंजीयन करने का उद्देश्य सभी साधकों की सूचना एकत्र करना एवं शांतिकुंज स्तर पर दोष परिमार्जन - संरक्षण एवं मार्गदर्शन की व्यवस्था करनी है ।

Register for this event - पंजीयन

शंका समाधान हेतु शान्तिकुन्ज से पत्र अथवा मेल से सम्पर्क करें ।

 पंजीयन :      www.awgp.org ,  www.diya.net.in     
 Mail  @   youthcell@awgp.org |shantikunj@awgp.org ;

 Call ; @ 9258360652, 9258360600   ( Time - 9 AM To 9 PM )
            ( WhatsApp : 9258360962 ) 

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  • विश्व स्तरीय चालीस दिवसीय साधना अनुष्ठान



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DIYA is a movement for the youth of a great nation. DIYA is based on strong tenets and principles, also set realistic and achievable goals for itself.

People who are young at heart and mind, and feel strongly about the new vision for India are welcome to join DIYA irrespective of age, caste or religion.

Join us to attain a life full of happiness and vigor and feel the pride of taking India to great new heights.

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